Polluted environment ways to deal with it - प्रदूषित वातावरण - निपटने के उपाय
प्रदूषित वातावरण - वैसे तो हम हर दिन समस्याओं की,तनाव की या फिर बच्चो में बढ़ते मोबाइल फोन की लत वगैरह वगैरह की बात करते रहते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं? इन सब से ऊपर है आज पर्यावरण की समस्या है जिस में हम सब सांस ले रहे हैं और रोज न जाने कितनी बीमारियों को न्योता भी दे रहे हैं। पर्यावरण संबंधी तनाव हमारे सामने हर दिन आता है और हमें इसकी जानकारी होनी चाहिए कि ऐसा हो रहा है। जाहिर है,हम हर समय इसके बारे में जागरूक नहीं रह सकते क्योंकि ऐसा करने से शायद हमें रोज़मर्रा में होने वाली चिंता से अधिक तनाव होगा। हालाँकि,यह हमें पता होना चाहिए की ये हमारे शरीर के साथ
साथ दिमाग पर भी असर डालता है।
जब हम पर्यावरणीय तनाव की बात करते हैं तो उसमें सबसे पहले आता है वायु प्रदूषण जो सबसे सबसे आम,और सबसे अधिक ध्यान देने योग्य, पर्यावरणीय तनाव के प्रकारों में से एक है। जब फ़ैक्टारियों से निकलने वाले धुंए और धुंए में कार्सिनोजेन्स का मिश्रण होता है,तब हम अभी जहर से भरी हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होते हैं। भले ही हम इस पर ध्यान दे या न दें ,हम इससे बच नहीं सकते। हमारे फेफड़े लगातार इसको हमारी सांस द्वारा अंदर खींच रहे हैं जो कि छोटे कणों के रूप में होते हैं और हम अपनी आँखों से इन्हे नहीं देख सकते हैं। जाहिर सी बात है,यह एक अच्छी स्थिति नहीं है,अब इससे बचने के लिए हम अपनी सांस को रोकने का जोखिम तो नहीं उठा सकते ।
वायु प्रदूषण की जब बात आती है,तो हम दूसरे नंबर पर जल प्रदूषण की भी बात जरूर करते हैं। क्या आप जानते हैं? हम जो पानी पीते हैं उसमें भी कई तरह के रसायन मिले होते हैं दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि हम जो पानी पीते हैं वह सभी प्रकार के जहरों से भरा होता है जो हमारे शरीर को खोखला बना रहा हैं। लेकिन फिर, हम पानी पीना बंद तो नहीं कर सकते,अब हमें क्या करना चाहिए? इससे बचने के लिए हमें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि हम पानी को छान कर या फ़िल्टर करके ही पियें ।
इस स्थिति से बचने के लिए हम बहुत कुछ नहीं कर सकते। यहाँ तक कि बोतलबंद पानी भी सुरक्षित नहीं है,क्योंकि यह पानी भी कहीं से आ रहा होता है और वह भी कहीं न कहीं जमीन से ही जुड़ा होता है।कुछ पानी केवल नगर निगम की जलापूर्ति से लिया जाता है और वे भी सुरक्षित नहीं होते हैं। इस प्रकार, यह एक ऐसी समस्या है जिसका दैनिक जीवन में सामना करना ही पड़ता है ।
ऐसे ही एक है ध्वनि प्रदूषण जो ज्यादा शोरगुल, तेज आवाज़ में म्यूजिक, पब्लिक जगहों पे शोरगुल और तेज आवाज़ में हॉर्न का बजना इत्यादि कई सारे उदाहरण आप देख सकते हैं अपने आसपास ।
दुर्भाग्य से,ये जहर न केवल हमारे शरीर पर ही तनाव डालते हैं,बल्कि हमारे दिमाग पर भी असंतुलित करते हैं और कम प्रभावी ढंग से काम करने का कारण बन सकते हैं। जिस तरह शराब या ड्रग्स हमारे दिमाग के काम करने के तरीकों को प्रभावित कर सकते हैं,उसी तरह ये सूक्ष्म जहर भी हमारे दिमाग में रिस रहे हैं और मानसिक परिवर्तन कर रहे हैं। यह बस इतनी धीमी गति से होगा कि हम अंतर को नोटिस नहीं कर सकते।
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