काम काजी माता पिता होना- फायदे या नुक्सान?
आज की शदी में माता पिता दोनों काम पर जा रहें हैं और अपने बच्चों के पालन-पोषण में कठिनाइयों का सामना करते हुए हर दिन एक ही शिकायत सुनने को मिल जाती है कि व्यस्त
जीवन शैली के कारण अक्सर अपने घर के कामों को संभालना या अपने बच्चों के साथ ठीक से समय बिताना मुश्किल हो जाता है।
उनका इस तेजी से भागती सदी में,माता-पिता के सामने क्योंकि माता-पिता दोनों काम पर जा रहे हैं और इसकी व्यस्त प्रकृति के कारण उन्हें अक्सर अपने घर के कामों को संभालना या अपने बच्चों के साथ ठीक से समय बिताना मुश्किल हो जाता है।
उनकी सबसे बड़ी समस्या उनके कार्य व घर के जीवन को संतुलन करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
माता-पिता को यह समझना चाहिए कि उनकी गैरमौजूदगी में उनके बच्चे गैजेटस के माध्यम से जिस काल्पनिक दुनिया का विकास कर रहे हैं, वो असल ज़िन्दगी से कोसों दूर है।
माना कि प्रौद्योगिकी का आज हमारे द्वारा जीवन के हर कोने में इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी का फायदा उठाकर हम उक्त तकनीक के साथ और माता-पिता की ओर से कुछ छोटी-छोटी कोशिशों के साथ,हम बच्चों के पालन-पोषण में अपनी चुनौतियों को दूर करने का प्रयास कर सकते हैं।
यहां कुछ दिन-प्रतिदिन की चुनौतियां ऐसी हैं, जिनका सामना कई माता-पिता करते हैं और उन्हें दूर करने के कुछ जरूरी टिप्स हैं:
अनुशासन:
आजकल के बच्चे डिजिटल गैजेट्स मे खुद को लॉक कर अपने माता-पिता की मदद करने से खुद को दूर कर लेते हैं। ऑफिस जाने वाले माता-पिता की अपने बच्चों के साथ सबसे बड़ी समस्या अनुुशासन की ही हैं।
घर के कामों को पूरा करने से लेकर अन्य जगहों पर खुद का व्यवहार करने तक, माता-पिता को अक्सर उन्हें कुछ सिद्धांतों को सिखाना चुनौतीपूर्ण लगता है।
इसलिए उन माता-पिता को मदद करने व उनकी घरेलू दिनचर्या को सुव्यवस्थित और प्रबंधित करने के लिए बच्चो को अनुशासित करना बहुत जरूरी हैं।
समय प्रबंधन:
आज के माता-पिता के सामने एक और महत्वपूर्ण समस्या समय की कमी है। बेशक,दिन में केवल 24 घंटे होते हैं,लेकिन वे घंटे तो काम, घर,बच्चों और अपने कामों में ही निकल जाते हैं।
ज्यादातर माता-पिता को अपने काम के समय और निजी जीवन को संतुलित करना चुनौतीपूर्ण लगता है। ऐसे माता-पिता को समय प्रबंधन की बहुत आवश्यकता है जिसे हम टाइम मैनेजमेंट भी कहते हैं,जिसको करने से उन्हें रोज़ के कामो में काफी मदद मिलेगी।
बच्चों में मनोबल बढ़ाएं:
माता-पिता,विशेष रूप से कार्यालय जाने वाले अपने बच्चों के साथ शायद ही कभी बातचीत करते हैं, इसकी वजह उनके काम की प्रकृति और समय की कमी के कारण हो सकता है।
माता-पिता और बच्चों के बीच हाल ही में किए गए शोध के आधार पर,यह पाया गया है कि बच्चों में नैतिक सिद्धांतों की कमी उन्हें अवांछित गतिविधियों को करने के लिए प्रेरित करती है।
क्योंकि आजकल बच्चों के पास इंटरनेट और टेलीविजन तक की असीमित पहुंच है,वे जीवन में अच्छी और बुरी दोनों चीजों का पता लगाते हैं और अक्सर गलत चीजों की ओर आकर्षित होते हैं।
इसलिए अपने बच्चों को आपत्तिजनक चीज़ों से बचाने के लिए गजैट्स और मोबाइल फोन पर पैरेन्टल कण्ट्रोल सुविधा का इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे बच्चों को इन आसामाजिक सामग्री से दूर रखा जाए और इस तरीके से बच्चे के डिवाइस पर माता पिता इंटरनेट पर अपने बच्चे की गतिविधियों की निगरानी भी कर सकते हैं।
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