गुम होते बचपन के खेल- lost childhood games
गुम होते बचपन के खेल- lost childhood games
आजकल तनाव वयस्कों में ही नहीं बल्कि बच्चो में भी बहुत देखा जा रहा है l इसकी सबसे बड़ी वजह है स्कूल के सिलेबस में बढ़ता हुआ पाठ्यक्रम और होम वर्क का दबाव बच्चे ही नहीं बल्कि उनके माता पिता के लिए भी उनके बचपन को ख़त्म करता जा रहा है या फिर तनावपूर्ण बनाता जा रहा है l
एक समय वो था जब बच्चे पकड़म पकड़ायी , चोर सिपाही, पिठू, लंगड़ी टांग वगैरा खेल घंटों खेला करते थे और इस बात पर लड़ते थे की कौन जीता और किसने धोखा दिया?
आज के समय में यदि माता पिता से पूछा जाए तो वे शिक़ायत
करते हुए कहते हैं कि बच्चो के पास समय ही कहाँ हैं खेलने के लिए ? उस पर स्कूल में व अन्य जगह होने वाले कम्पेटेशन का भी बहुत दबाव रहता है l
अब सवाल यह उठता है की उनकी पढाई को मनोरंजक कैसे बनाया जाए ? इसके लिए सबसे पहले उनके सब्जेक्टस के हिसाब से टाइम टेबल सेट करें और उन्हें उसी के हिसाब से चलने के लिए प्रोत्साहित करें यदि कभी वो ऐसा नहीं करते हैं तो आप घबराएं नहीं, बल्कि उन्न्हे स्वयं अपना लक्ष्य निर्धारित करने के लिए कहें l
साप्ताहिक लक्ष्य को पूरा करने पर उन्हें इनाम के रूप में कहीं बाहर पार्क, मूवी, रेस्तरां इत्यादि जगह ले जाया जा सकता है या फिर वीक में एक उनके फ्रेंड्स के घर पैर खाने पैर या कॉफ़ी पर बुलाया जा सकता है, इससे यह उपाय परीक्षा के दिनों में
तनाव को भी प्रभावी ढंग से कम करेगा और वे परीक्षा में पहले से बेहतर प्रदर्शन करेंगे l
होमवर्क, व अतिरिक्त कक्षाओं और अध्ययन के बावजूद, हर दिन कुछ घंटों के लिए खेलने का समय भी फिक्स होना चाहिए l
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